5+ Famous Gulzar Poetry in Hindi – गुलजार सहाब की कुछ सर्वश्रेष्ठ कविताये
Gulzar Poem in Hindi:- नमस्कार दोस्तों आज हमने आप सभी के लिए गुजार सहाब की कुछ कविताओं का मजेदार संग्रह आपके साथ शेयर करने जा रहे है। आप सभी जानते है की गुलजार हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित नामों में से एक है। वह अपने सुंदर गीतों और कविताओं के साथ-साथ एक पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और नाटककार के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। गुलज़ार ने अपने पूरे करियर में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं, जिसमें “पद्म भूषण” (2004) और स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत “जय हो” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत (2009) का ऑस्कर पुरस्कार शामिल है। इसी गाने के लिए उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। गुलजार के काम ने कई लोगों के दिलों को छुआ है और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। शुक्रिया गुलजार साहब, हर चीज के लिए। तो आइये इस महान इंसान की कुछ लोकप्रिय कविताये पढ़ ली जाए।
Poem of Gulzar in Hindi – एक पुराना खत कविता
Poem on Gulzar in Hindi – गुलज़ार शायरी इन हिंदी
ख़ुदा
पूरे का पूरा आकाश घुमा कर बाज़ी देखी मैंने
काले घर में सूरज रख के,
तुमने शायद सोचा था, मेरे सब मोहरे पिट जायेंगे,
मैंने एक चिराग़ जला कर,
अपना रस्ता खोल लिया.
तुमने एक समन्दर हाथ में ले कर, मुझ पर ठेल दिया.
मैंने नूह की कश्ती उसके ऊपर रख दी,
काल चला तुमने और मेरी जानिब देखा,
मैंने काल को तोड़ क़े लम्हा-लम्हा जीना सीख लिया.
मेरी ख़ुदी को तुमने चन्द चमत्कारों से मारना चाहा,
मेरे इक प्यादे ने तेरा चाँद का मोहरा मार लिया
मौत की शह दे कर तुमने समझा अब तो मात हुई,
मैंने जिस्म का ख़ोल उतार क़े सौंप दिया,
और रूह बचा ली,
पूरे-का-पूरा आकाश घुमा कर अब तुम देखो बाज़ी.
Gulzar poetry in Hindi on love – प्रेम वाली गुलज़ार कविता
अमलतास
खिड़की पिछवाड़े को खुलती तो नज़र आता था,
वो अमलतास का इक पेड़, ज़रा दूर, अकेला-सा खड़ा था,
शाखें पंखों की तरह खोले हुए.
एक परिन्दे की तरह,
बरगलाते थे उसे रोज़ परिन्दे आकर,
सब सुनाते थे वि परवाज़ के क़िस्से उसको,
और दिखाते थे उसे उड़ के, क़लाबाज़ियाँ खा के,
बदलियाँ छू के बताते थे, मज़े ठंडी हवा के!
आंधी का हाथ पकड़ कर शायद.
उसने कल उड़ने की कोशिश की थी,
औंधे मुँह बीच-सड़क आके गिरा है!
Gulzar poetry in Hindi on life – Gulzar Poem in Hindi
मेरे रौशनदान में बैठा एक क़बूतर
मेरे रौशनदार में बैठा एक कबूतर
जब अपनी मादा से गुटरगूँ कहता है
लगता है मेरे बारे में, उसने कोई बात कहीं.
शायद मेरा यूँ कमरे में आना और मुख़ल होना
उनको नावाजिब लगता है.
उनका घर है रौशनदान में
और मैं एक पड़ोसी हूँ
उनके सामने एक वसी आकाश का आंगन.
हम दरवाज़े भेड़ के, इन दरबों में बन्द हो जाते हैं,
उनके पर हैं, और परवाज़ ही खसलत है.
आठवीं, दसवीं मंज़िल के छज्जों पर वो,
बेख़ौफ़ टहलते रहते हैं.
हम भारी-भरकम, एक क़दम आगे रक्खा,
और नीचे गिर के फौत हुए.
बोले गुटरगूँ…
कितना वज़न लेकर चलते हैं ये इन्सान
कौन सी शै है इसके पास जो इतराता है
ये भी नहीं कि दो गज़ की परवाज़ करें.
आँखें बन्द करता हूँ तो माथे के रौशनदान से अक्सर
मुझको गुटरगूँ की आवाज़ें आती हैं !!
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देखो, आहिस्ता चलो!
देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा,
देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा.
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आप सभी को Gulzar Poem in Hindi पर गुलजार की कविताये पढ़ कर केसा लगा ये सभी कविताये गुलज़ार सहाब ने अपने जीवन को आधार मान कर लिखी है। जो अब हमारे समाज के लिए किसी प्रेणा से कम नहीं है। मुझे उम्मीद है की आपको हमारा लेख Best Poems of Gulzar पसंद आया होगा। आप ये सभी कविताये अपने दोस्तों वे सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले। धन्यवाद।