5+ नदी पर कविता || Poem on River in Hindi
Poem On River In Hindi:- नमस्कार, दोस्तों आज हमने नदी पात्र कविताये लिखी। जैसा की आप सभी अच्छे से जानते है की नदियाँ सदियों से कवियों और लेखकों की प्रेरणा रही हैं। उनके बहते पानी के बारे में कुछ ऐसा है जो कल्पना को पकड़ लेता है और रचनात्मकता को प्रेरित करता है। भारत में नदियों को समर्पित एक विशेष प्रकार की कविता है- नदी पर कविता। यह कविता नदी की कहानी, इसकी उत्पत्ति, परिदृश्य के माध्यम से इसकी यात्रा और इसके अंतिम गंतव्य के बारे में बताती है। यदि आप भारतीय संस्कृति या कविता में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए है! मुझे उम्मीद है की आपको हमारा लिखा लेख जरूर पसंद आएगा।
Poem On River In Hindi – लोकप्रिय नदियों पर कविता
River Poem In Hindi – नदी के ऊपर कविता
मैं नदी हूं
हिमालय की गोद से बहती हूं
तोड़कर पहाड़ों को अपने साहस से
सरल भाव से बहती हूं।
लेकर चलती हूं मैं सबको साथ
चाहे कंकड़ हो चाहे झाड़
बंजर को भी उपजाऊ बना दू
ऐसी हूं मैं नदी।
बिछड़ों को मैं मिलाती
प्यासे की प्यास में बुझाती
कल-कल करके में बहती
सुर ताल लगाकर संगीत बजाती।
कहीं पर गहरी तो कहीं पर उथली हो जाती
ना कोई रोक पाया ना कोई टोक पाया
मैं तो अपने मन से अविरल बहती
मैं नदी हूं।
मैं नदी हूं
सब सहती चाहे आंधी हो या तूफान
चाहे शीत और चाहे गर्मी
कभी ना रूकती, कभी ना थकती
मैं नदी सारे जहां में बहती।
Best Poem on River in Hindi
नदी निकलती है पर्वत से,
मैदानों में बहती है।
और अंत में मिल सागर से,
एक कहानी कहती है।
बचपन में छोटी थी पर मैं,
बड़े वेग से बहती थी।
आँधी-तूफान,
बाढ़-बवंडर,
सब कुछ हँसकर सहती थी।
मैदानों में आकर मैने,
सेवा का संकल्प लिया।
और बना जैसे भी मुझसे,
मानव का उपकार किया।
अंत समय में बचा शेष जो,
सागर को उपहार दिया।
सब कुछ अर्पित करके अपने,
जीवन को साकार किया।
बच्चों शिक्षा लेकर मुझसे,
मेरे जैसे हो जाओ।
सेवा और समर्पण से तुम,
जीवन बगिया महकाओ।
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नदी की बहती धरा Poem On River
क्या है पता तुम्हारा?
कौन पिता है, कौन है माता,
कितनी बहने, कितने भाई?
लहरें भी क्या ये सारी ही,
साथ तुम्हारे आई।
बहती ही जाती हो नदिया,
थोड़ी देर ठहर जाओ।
नदिया बोल पड़ी और कहती है-
मैं गंगा हूँ, जमुना हूँ।
ब्रह्मपुत्र, झेलम, सतलूज हूँ।
कावेरी हूँ, कृष्णा हूँ।
जो तुम रख दो नाम वही मैं,
बन जाती हूँ बेटे।
सबको सुख पहुँचाती चलती,
हर्षाती हूँ बेटे।
बोला बालक सूख न जाना,
बाढ़ नहीं तुम लाना।
करती हो उपकार सभी का,
सागर में मिल जाना।
Best Nadi Par Kavita
“वो एक नदी है।“
हिमखंडों से पिघलकर,
पर्वतों में निकलकर ,
खेत खलिहानों को सींचती ,
कई शहरों से गुजरकर
अविरल बहती , आगे बढ़ती,
बस अपना गंतव्य तलाशती
मिल जाने मिट जाने,
खो देने को आतुर
वो एक नदी है।
बढ़ रही आबादी
विकसित होती विकास की आंधी
तोड़ पहाड़, पर्वतों को
ढूंढ रहे नई वादी,
गर्म होती निरंतर धरा,
पिघलते , सिकुड़ते हिमखंड
कह रहे मायूस हो,
शायद वो एक नदी है।
लुप्त होते पेड़ पौधे,
विलुप्त होती प्रजातियां,
खत्म होते संसाधन,
सूख रहीं वाटिकाएं
छोटे करते अपने आंगन,
गौरेया, पंछी सब गुम गए,
पेड़ों के पत्ते भी सूख गए
सूखी नदी का किनारा देख,
बच्चे पूछते नानी से,
क्या वो एक नदी थी।
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मित्रो में आशा करता हूँ की आपको हमारा लेख Poem On River In Hindi पर आनंद आया होगा। दोस्तों नदिया धरती पर आज से नहीं है ये बरसो से सदियों पुरानी है लेकिन आज कर रहे है। वे इसकी वैल्यू नहीं समझ रहे है। आज हमने की ताकि कुछ लोग तो होंगे तो हमारी नदियों के जल को दुर्षित नहीं करेंगे अपने साथ लोगो को भी जागरूक करेंगे। और अगर हमारे लेख boats sail on the river poem, poem about river in Hindi से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते है। धन्यवाद।